मित्रो,
।। हरे कृष्णा ।।
हमारी यह जीवनयात्रा इतनी भी आसान और सहज नहीं होती। इस संपूर्ण जगत मे हर किसी का जीवन संघर्ष एवं कठिणाईयों से भरा है। जीवनयात्रा के दौरान कई प्रकार की समस्याए, चिंताए हमें लगी रहती है। किसी को शिक्षा में बाधाए आती है तो कोई पारिवारिक जीवन में सुखी नहीं है। आप में से मेरे कई मित्र - भाई - बहन मानसिक रूप से तनाव का अनुभव कर रहे है। आपसी रिश्तो मे बढती दूरीयो ने किसी का जीवन अस्तव्यस्त कर दिया है। व्यापार - बिझनेस में आ रहे उतार - चढाव से कई लोग परेशान है। पूरी तरह से योग्य होनेपर भी शायद नौकरी में आपको प्रमोशन नहीं मिलता। सब कुछ पास होनेपर भी कोई असाध्य रोग तथा बीमारी का मुकाबला कर रहा है।
इस संसार मे हर व्यक्ति किसी ना किसी संकट से घिरा हुआ अवश्य मिलेगा। आप भी ऐसी ही किसी चिंता से घिरे होंगे। आपने अवश्य ही अनेक जगहों पर इन समस्याओं के समाधान की खोज की होगी। पर दुर्भाग्यवश वह उपाय अब तक आपको मिला नहीं। इसी कारन आप चिंताओं के इस दलदल में धसते जा रहे हो। किंतु प्राचीन शास्त्रो के आधार से, ध्यान साधना के धारणा योग मार्ग से आप इन समस्याओं पर विजय प्राप्त कर सकते है। इन सभी समस्याओ का एकमात्र उपाय है
धारणा योग हिलिंग थेरपी।
हमारी धारणा योग हिलिंग प्राचीन भारतीय शास्त्रो पर आधारित है। मन अथवा चित्त शक्ति का उपयोग इस क्रिया मे किया जाता है। जीवन मे इसी चित्त शक्ति का उपयोग अब तक हम संसार की उपलब्धियों तथा भोगों में कर रहे थे। धारणा योग हिलिंग द्वारा हमारा नियंत्रित चित्त अब किसी एक स्थान पर अपनी इच्छानुसार केन्द्रित किया जा सकता है। वह स्थान शरीर के भीतर भुकृटि, नाभि, हृदय चक्र आदि हो सकते है अथवा बाह्य स्थान सूर्य, गुरुमूर्ति, भुव आदि हो सकते है। इन भिन्न-भिन्न स्थानो पर चित्त को ठहरा देना ही धारणा योग क्रिया है। वास्तव में धारणा शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत शब्द के 'धृ' से हुई है। जिसका अर्थ है - आधार या नींव। इस प्रकार धारणा का अर्थ वह वस्तु या घटक पर केंद्रित करना।
पतंजली योगशास्त्र में धारणा का यह अर्थ लिया गया है की मन को किसी एक बिंदूपर लगाये रखना या स्थिर रखना ही धारणा है। धारणा योग के विषय मे भारत के प्राचीन विचारक एवं धर्म अभ्यासक स्वामी विवेकानन्द जी कहते है - "जब मन शरीर के भीतर या उसके बाह्य किसी वस्तु के साथ संलग्न होता हैं और कुछ समय तक उसी तरह रहता है, तो उसे धारणा कहते है।" महर्षि दयानन्द के अनुसार चित्त को किसी एक स्थान पर एकाग्र करने के साथ-साथ मानसिक रूप से ओंकार का जप भी करना चाहिए। व्यास भाष्य में भी धारणा के विभिन्न स्थल एवं उनके पृथक-पृथक लाभ बताये गए हैं।
धारणा योग में उपयोगी मन्त्र भी सिद्धि प्रदान करते है। मंत्र शब्द में मन का तात्पर्य मनन से है और त्र का तात्पर्य शक्ति और रक्षा से है। मंत्र में इतनी शक्ति होती है कि इससे अनिष्टकारी बाधाओं को, व्याधियों को बड़ी ही आसानी से दूर किया जा सकता है। आध्यात्मिक प्रगति, अलौकिक शक्ति की प्राप्ति तथा तमाम कार्यों की सिद्धि के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है। मंत्र-तंत्र-यंत्र में असीम अलौकिक शक्तियां निहित हैं। इसके द्वारा नर से नारायण बना जा सकता है। आवश्यकता है साधना के साथ-साथ श्रद्धा एवं विश्वास की। मंत्र शब्दों या वाक्यों का वो वर्णसमूह है, जिसके निरंतर मनन से विशेष शक्ति प्राप्त की जाती है। मंत्र शास्त्र हमारे दिव्य दृष्टि युक्त महान ऋषि-महर्षियों की देन हैं। मंत्र का सीधा संबंध मानव के मन से है, मन की एकाग्रता एवं तन्मयता मंत्र सिद्धि के ध्येय तक पहुंचाती है और मन को एकाग्र करके किसी भी समस्या पर समाधान या सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। आप भी अगर जीवन मे सुख की प्राप्ति करना चाहते है, तो आपको हमारे धारणा योग हिलिंग मे सहभाग लेना होगा। इससे आपके जीवन में अदभुत परिवर्तन होगा। हमारे हजारो साधक आज इस बात का अनुभव कर रहे है। अनेक साधको ने धारणा योग हिलिंग की सराहना की है।
धारणा योग हिलिंग का प्रचार विदेशों में भी हुआ है। केवल देश मे ही नही, विदेशो मे भी यह ध्यान क्रिया प्रचलित है। देश-विदेश के अनेको डॉक्टर्स, संशोधको को इस विषय पर गहरा रिसर्च करने के बाद अच्छे परिणाम मिले है। वास्तव में मानवीय शक्तियों से परे, प्रकृति में छिपे सच को, रहस्यों को ढूंढ़ने, जानने और पाने की हमारी चाहत पुरातन है। अपना देश भारत हो या फिर दुनिया का कोई दूसरा कोना, हर जगह इसकी झलक मिलती है। यह हर देश का वास्तव सत्य है।
अपने यहाँ के रामायण, महाभारतसहित वैदिक साहित्य के अलावा पश्चिमी देशों के प्राचीन नाटक, इतिहास कथाए, मध्य एवं नवजागरण काल की कविताओं में धारणा योग तथा ध्यान साधना की शक्ति, नॅचरल तथा सुपर नॅचरल शक्तियों का व्यापक उल्लेख मिलता है। जर्मन साहित्यकार शीलर, विलैण्ड एवं गेटे ने अपने साहित्य में इसपर काफी प्रकाश डालने की कोशिश की। ब्रिटेन के होरेस कालपोल ने अपनी कृति 'केस्टल ऑफ ओट्राण्टो' में यह तर्क पूर्ण ढंग से स्पष्ट किया, की शक्ति और सत्य की सीमा मनुष्य और दृश्य प्रकृति तक ही सिमटी नहीं है। यह इससे आगे और पार भी है। उन्होंने बताया नेचुरल के साथ ही सुपरनेचुरल का भी अस्तित्त्व है। मैथ्यू ग्रेगगी लेविस ने 'द माँक' में इसके कुछ अलग रूपों को खोज लिया है। यह पद्धति मेरी शेली ने अपनी रचना 'फ्रेंकस्टीन' में निभायी है। पिछली 20 वीं शताब्दी में 'सुपर नेचुरल' के सच का पर्याप्त साहित्यिक विस्तार हुआ। अमेरिका में एडगर ऐलेन पो, वॉशिंग्टन इर्विंग, नेथेनील हावथोर्न, रूस में पुश्किन, जर्मनी में हाफमेन, पेरिस में नोडियार ने अपने साहित्य में सुपर नेचुरल की रोमांचक व्याख्याएँ की है। अमेरिका में एच. व्ही. लोवक्राफ्ट ने अपने जमाने की पूरी पीढ़ी पर इसका जादुई असर छोड़ा है। ब्रिटेन में एम. आर. जेम्स ने आत्मा का सच बयान कर सबको आश्चर्य में डाल दिया। इसी तरह अनेको डॉक्टर्स ने धारणा हिलिंग द्वारा अस्ध्य रोगोंपर उपचार किए है। सुपर नेचुरल या अतिप्राकृतिक सत्य से सम्बन्धित विज्ञान मे डिकेन्स, किटिंलग, वाल्टर डी. ला मरे, हेनरी जेम्स और डी. एच. लारेन्स का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
सभी समस्याए एवं कठिनाईयों का समाधान अब हम धारणा योग द्वारा साधको के लिए लेकर आए है। हमारे सात दिवसीय धारणा योग का स्वरूप ऑनलाईन तथा ऑफलाईन है। इसमें ------------ तक साधक ऑनलाईन व्हीडियो सेशन के माध्यम से हमसे जुड़े होंगे। प्रतिदिन सेशन द्वारा आप इसमें अवश्य सहभागी हो। इसके बाद २ दिन साधकों को प्रत्यक्ष रूप से दिशादर्शन किया जाएगा।
इसका स्थान
मुंबई शहर मे R.S.V.K. (SSY) आश्रम है। यहाँ पर आयोजित धारणा योग मे अवश्य सहभाग ले और जीवन में नयी ऊर्जा तथा आनंद का अनुभव करे। आमतौर पर इसका शुल्क २१००० रुपये है। किंतु यहाँ आपको केवल ७९९९ रुपयो के स्वागत शुल्क मे उपलब्ध होगा। इसके लिए नीचे दी गयी लिंकपर क्लिक करे और अपना स्थान निश्चित करे। श्री किशोरजी द्वारा निर्मित श्रीकृष्णा शरणं मम
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दि. 27 से 29 जनवरी 2023
स्थान - R.S.V.K. (SSY) आश्रम, देहरी, मुरबाड के पास, मुंबई - 421401 (महाराष्ट्र)