व्यक्ति के जीवन में भरा तनाव और समस्याओं का उपाय सही अर्थ से हमारे भीतर छिपा है। हमे क्या करना है, केवल उसे खोजकर निरंतर अपनाना है। नित्य ध्यान साधना यही एकमात्र उपाय है इस संसार के चक्रव्यूह से बाहर नि कलने का। श्री. किशोरजी द्वारा निर्मित अष्टलक्ष्मी ध्यान साधना यह अत्यंत लाभकारी सूत्र है। इस ध्यान साधना से साधक जीवन मे सकारात्मक सुधार आते है। जीवन के प्रति दृष्टिकोन बदल जाता है। ध्यानकाल में अहम टूटता है, आग्रह छूटता है, विनम्रता बढ़ती है। साधक को अष्टलक्ष्मी मेडिटेशन कोर्स आत्मसाक्षात्कार का प्रमुख मार्ग दिखाता है।
महालक्ष्मी के इस रूप की आराधना से समाज में मान-सम्मान व यश की प्राप्ति होती है।
माता के इस रूप के पूजन से धान्य के भांडार भरे रहते है।
धैर्यलक्ष्मी रूप की उपासना हमे साहस तथा शक्ति प्रदान करती है।
माता का यह स्वरूप पशुधन मे वृद्धि एवं पशुओ को स्वस्थता प्रदान करता है।
माता के इस स्वरूप के भक्ति से संतान को बेहतर व सफल बनाने की प्रेरणा मिलती है।
विजय का अर्थ जीत होने से देवी माता का यह रूप का जीत का प्रतीक माना जाता है।
शिक्षा के क्षेत्र से जुडे़ लोगों को सफलता पाने के लिए विद्यालक्ष्मी की उपासना फलदायी है।
महालक्ष्मी के इस रूप की आराधना से धनसंपत्ति मी वृद्धि होती है।
अष्टलक्ष्मी ध्यान साधना से विचारों, भावनाओ का केन्द्रीकरण तथा एकाग्रता प्राप्त होती है। यह अपने आप में भीतरी विश्राम पाने की प्रक्रिया है। ध्यान करने से हम अपने किसी भी कार्य को एकाग्रता से सफलतापूर्वक पूर्ण सकते हैं। इससे जीवन मे परिवर्तन एवं उचित लाभ होगा।
• ध्यान का अर्थ है शरीर और मन की सीमाओं से परे जाना।
• शरीर और मन का अस्तित्व कुछ क्षणों के लिए खोना यही ध्यान है।
• ध्यान साधना से अपने भीतर नए आयाम जागृत होते है।
• ध्यान साधना एक उत्कृष्ट गुण है।
• अपने अस्तित्व की सुंदरता ध्यान साधना से प्रतीत होती है।
• ध्यान साधना व्यक्ति के जीवन को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाती है।
• अपने आप मे खिलने का साधन ध्यान साधना है।
• ध्यान से प्रतीत होता है, आप कोई भिन्न नहीं, आप एक ब्रह्मांड हैं।
श्री. किशोरजी द्वारा निर्मित निःशुल्क अष्टलक्ष्मी मेडिटेशन कोर्स ध्यान साधना के लिए अत्यंत प्रभावी है। आईए, आपभी ओजस्वी वक्ता तथा आध्यात्मिक मार्गदर्शक श्री. किशोरजी के माध्यम से निःशुल्क अष्टलक्ष्मी मेडिटेशन कोर्स द्वारा ध्यान साधना का प्रारंभ करे।